हर सुबह नई तो होती है
खास नहीं
सपनों की बारात तो होती है
पास नहीं
सुबह आज है लेकर आई
स्वप्न-राग नए, नई तरंगें
मनचाही खुशियों की चाहत
सालों-साल उमंगें
प्रतिपल, प्रतिदिन नए साल का,
लेकर आए हर्ष्र
जन-मन के संग सभी मनाएँ
खुशी-खुशी नववर्ष।
Copyright©Dr. Ashwinikumar Shukla
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