बुधवार, 13 जनवरी 2010

नई सुबह

हर सुबह नई तो होती है

खास नहीं

सपनों की बारात तो होती है

पास नहीं

सुबह आज है लेकर आई

स्वप्न-राग नए, नई तरंगें

मनचाही खुशियों की चाहत

सालों-साल उमंगें

प्रतिपल, प्रतिदिन नए साल का,

लेकर आए हर्ष्र

जन-मन के संग सभी मनाएँ

खुशी-खुशी नववर्ष।

Copyright©Dr. Ashwinikumar Shukla


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें